Sunday, April 12, 2015

आज मैं जलाया जा रहा था

था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था… 
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था…
ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में… 
बच्चों की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था…
था पास मेरा हर अपना उस वक़्त… 
फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था…
जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से… 
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था…
मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देखकर… 
जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था…
काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र देखकर… 
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था…
मोहब्बत की इंतहा थी जिन दिलों में मेरे लिए… 
उन्हीं दिलों के हाथों, आज मैं जलाया जा रहा था…
-मुनिश्री क्षमासागरजी

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