Sunday, July 6, 2008

अगर यही जीना है दोस्तों तो मरना क्या है ?

शहर की इस दौड़ मैं दौड़के करना क्या है ?
अगर यही जीना है दोस्तों तो फिर मरना क्या है ?

पहली बारिश मैं ट्रेन लेट होने की फिक्र है
भूल गए भीगते हुए टेहेलना क्या है ?
सीरियल की किरदारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछने की फुरसत कहाँ है ?

अब रेत पर नंगे पांव टेहेलते क्यूँ नहीं ?
एल सौ आँत है चैनल पर दिल बेहेलते क्यूँ नहीं ?
इन्टरनेट पर दुनिया से तो touch मैं हैं
लेकिन पड़ोस मैं कौन रहता है जानते तक नहीं

मोबाइल landline सबकी भरमार है
लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ है ?
कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद है ?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है ?

शहर की इस दौड़ मैं दौड़के करना क्या है ?
अगर यही जीना है दोस्तों तो फिर मरना क्या है ?

- लगे रहो मुन्ना भाई

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