Monday, September 27, 2010

सुख

पहला सुख निरोगी काया , दूसरा सुख घर मैं हो माया |
तीसरा सुख कुलवंती नारी , चौथा सुख पुत्र आज्ञाकारी ||
पंचम सुख प्रमुखता घर - बाहर , छठवाँ सुख समाज मैं आदर |
इससे अधिक और क्या भाई , तीन लोक की संपत्ति पायी ||  

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